जाने कोंन सा रिश्ता, उनसे जुड़ने लगा है !
हर कदम उनकी तरफ, क्यों मुड़ने लगा है !
उधर की हवाओं में क्या तासीर है ऐसी कि,
ये ठहरा हुआ दिल भी, अब उछलने लगा है !
इस बदरंग सी ज़िंदगी में भर रहे हैं रंग कैसे,
फिर से तमन्नाओं का बादल, उमड़ने लगा है!
मोहब्बत कुछ और है तो फिर ये क्या है यारो,
क्यों कर धड़कनों का धीरज, उखड़ने लगा है !
यूं भी गुज़री है ज़िंदगी आँधियों के बीच "मिश्र",
किसी अन्जान से डर से, दिल दहलने लगा है!
Hindi Shayari Status
सब कुछ तो लुट गया, बस ईमान रह गया
बदनाम हो कर भी, थोड़ा सा नाम रह गया
लोगों की ढपलियों पे बजते रहे राग उनके,
पर मैं था कि अपने राग से, अंजान रह गया
हुआ करती थीं कभी महफ़िलें रंगीन हमसे,
पर अब तो उन्हीं हाथों में, टूटा जाम रह गया
क्या मिलेगा खोजने से इस खाली से दिल में,
अब तो बिखर के टुकड़ों में, बेजान रह गया
मैं तो आया था दुनिया में मोहब्बत के वास्ते,
पर नफरतों के चलते, बस अरमान रह गया
न मिलेगा अब तो ढूढ़ने से कोई शरीफज़ादा,
अब तो शातिरों की बस्ती में, बदनाम रह गया
क्यों लिए फिरते हो 'मिश्र'अपने नाम का तुर्रा,
वो तो दुनिया के बाजार में, अब बेदाम रह गया
Hindi Shayari Status
ज़ालिम नफरतों ने जीना, मुहाल कर दिया
गुलशन सी ज़िन्दगी को, बदहाल कर दिया
इस दिल में शोले, कुछ इस कदर भड़के,कि
उनकी तपिश ने मुझको, निढाल कर दिया
बमुश्किल मिले थे, मोहब्बत के कुछ लम्हे,
मगर दिल की हरक़तों ने, वबाल कर दिया
कभी अपनी भी सौहरत थी, इस ज़माने में,
पर वक़्त के इस फेर ने, फटेहाल कर दिया
यक़ीं था कि आएगा क़ातिल, सामने से यारो,
पर उसने तो मुझे पीछे से, हलाल कर दिया
मैंने पूछी थी ज़िन्दगी से, उसकी रजा ,
पर उसने तो मुझसे, उल्टा सवाल कर दिया
Hindi Sad Status
लोग अब भी, वो पुराना राग लिए फिरते हैं
सूरज की रोशनी में, चिराग लिए फिरते हैं
इधर तो कहीं भी ठंडक नहीं मिलती यारो,
अब दिलों में भी लोग, आग लिए फिरते हैं
ढूंढते फिरते हैं लोग औरों में ख़म ही ख़म ,
पर वो ख़ुद भी ढेर सारे, दाग लिए फिरते हैं
न जमती हैं लोगों को अब ईमान की बातें,
न जाने लोग कैसा, बददिमाग लिए फिरते हैं
ज़रा बच के ही रहना भोली सूरतों से "मिश्र",
अरे यही तो आस्तीनों में, नाग लिए फिरते हैं
Hindi Shayari Status
ज़िन्दगी में कभी कांटे, तो कभी गुलाब मिलते हैं
कभी मोहब्बतों के रंग, तो कभी अज़ाब मिलते हैं
ये दुनिया तो भरी पड़ी है अजीब से किरदारों से,
कहीं पे गिद्धों की टोली, तो कहीं सुर्खाब मिलते हैं
मत समझ लेना कि सब कुछ बराबर है दुनिया में,
कहीं दौलत ही दौलत, कहीं ख़ानाख़राब मिलते हैं
न समझ पाओगे कभी इस ज़माने की चालों को,
यहाँ मिलते हैं कभी शातिर, कभी जनाब मिलते हैं
अब तो जलवा है हर तरफ जालसाजों का "मिश्र",
कहीं मिलते हैं ज़रा कम, कहीं बेहिसाब मिलते हैं
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