दुनिया दिल के हौसले, आजमाती क्यों है,
हर किसी मोड़ पर, कांटे बिछाती क्यों है !
ज़िन्दगी का खेल तो खेलते हैं हम मगर,
खेल के क़ानून, ये दुनिया बनाती क्यों है !
हार जाएँ तो बनाती है तमाशा सरेआम,
गर जीत जाएँ तो भी, शोर मचाती क्यों है !
होती है ग़मज़दा देख कर सुख औरों का,
पर ख़ुशी पे औरों की, आंसू बहाती क्यों है !
न समझ पाए ये बात हम आज तक,
कि ये #ज़िंदगी, गैरों पे दिल लुटाती क्यों है !

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