खुली आँखों में गुज़र जाती हैं, हमारी रातें अक्सर ,
आँखों में समायी रहती हैं, यादों की बारातें अक्सर !
कभी रास्ते कभी चौराहे तो कभी बरगद के नीचे,
उभर आती हैं ज़ेहन में, अनेकों मुलाक़ातें अक्सर !
कहाँ से चला और कहां आ गया वक़्त का कारवां,
पर यादों में चली आती हैं, जमाने की घातें अक्सर !
बचपन, जवानी और अब उम्र का ये पड़ाव अंतिम,
फिर भी हंसा देती हैं, बचपन की खुराफातें अक्सर !
ये सच है कि #ज़िन्दगी जीना भी एक हुनर है,
पर अफ़सोस किसी को भी, न भाती ये बातें अक्सर !

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