यारो हम तो सपने ही, बस बुनते रह गए ,
बस व्यर्थ की बातों में, सर धुनते रह गए !
लोग तो आसमाँ तक भी घूम आये मगर,
हम तो सिर्फ आसमाँ को, तकते रह गए !
#दोस्तों ने कर लीं पार जाने मंज़िलें कितनी,
मगर हम तो सिर्फ सोच में, घुलते रह गए !
#समंदर में उतर कर पा लिए लोगों ने रत्न,
और हम किनारे पे खड़े, हाथ मलते रह गए !
पस्त इस कदर हो गए हमारे हौसले दोस्तो,
कि ज़िन्दगी के खेल में, हम उलझते रह गए !!!

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