हमने तो मांगा था ज़रा सा सुकून उनसे,
उल्टा वो एक नया ज़ख्म देकर चले गये
कल आबाद थे तो आँखों के नूर थे हम,
आज मुफ़लिसी का ताना देकर चले गये
मेरा बदहाल तो छूत की बीमारी बन गया,
अपने भी मुझसे पीछा छुड़ा कर चले गये
ये कैसा सितम है वक़्त के मारों पर
जो #दिल में थे वही दिल जला कर चले गये !!!
हम जला के दिये खुद अंधेरों में चल दिये
किसी की यादों के उजाले ले कर चल दिये
न राहों की फिक्र हमको न मंज़िल का पता
फिर भी अंधेरों में रोशनी तलाशने चल दिये
लोग बिछाते रहे कांटे हमारी राहों में मगर
हम मुश्किलों को किनारे लगा कर चल दिये
मोहब्बत का दुश्मन है ये जमाना
उसके दिये ज़ख्म दिल से लगा कर चल दिये
कैसे भूल जाऊं मैं हर पल मुस्कराना उनका
कभी कभी न मिलने के लिये बहाना उनका
दुनिया के शोर में भी न भूल पाता मैं
कोयल सी आवाज़ में मुझको बुलाना उनका
मैं सब कुछ भूल जाऊं गवारा है मुझको
लेकिन कैसे भूल जाऊं मैं प्यार पाना उनका
ग़म देकर ज़ुदा हो गये कोई शिकवा नहीं
पर याद आता रहेगा वो आँखें झुकाना उनका
उनका अलग होना कैसे कहूँ बेवफाई
आँखों का डबडबाना बता गया अफसाना उनका