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Mat Lapeto Kafan Se Chehra

मत लपेटो कफ़न से चेहरा, आँखें खुली रखने की आदत है
देखता हूँ आ जायें वो शायद, या अब भी कोई अदावत है
क्यों उतावले हो मुझे कंधों पै लादने के लिये "मिश्र",
कुछ देर और ठहर जाते, देर से आने की उनकी आदत है

Mohabbat se dar gya hoon

मोहब्बत के नाम से डर गया हूँ मैं
अपनी ही नज़रों में गिर गया हूँ मैं
बेवफाई का जिक्र क्या करना "मिश्र"
हसीनों के मेले से गुज़र गया हूँ मैं
न वो दिल रहा न प्यार का जुनून
अब ठोकरें खाकर सुधर गया हूँ मैं
न आँसूं न ग़म न लटका हुआ चेहरा
इश्क़ की आफतों से उबर गया हूं मैं...

Teri Yaad Dil Se Laga Kar

कभी दिल को कभी #शमा को जला कर रोये,,,
तेरी याद को #दिल से लगा कर हम रोये...
#रात की गोद में जब सो गयी सारी दुनिया,,,
चाँद को तेरी #तस्वीर बना कर हम रोये.....

Wo Laut Aaye Matlab Ke Liye

वो फिर से लौट आये थे
मेरी #जिंदगी में
अपने #मतलब के लिये,,,
और हम सोचते रहे कि
हमारी #दुआ में दम था !!!

Zakham apno ki nishani hain

मेरे पीठ पर जो जख्म है
वो अपनों की निशानी है..!!!
वरना
सीना तो आज भी
दुश्मनो के इंतजार में बैठा है..!