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कोई तो मेरे वजूद को, ठुकरा कर चला गया
और कोई झूठी ख्वाहिशें, जगा कर चला गया
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जो न समझा कोई, वो ज़ज्बात हूँ मैं
सुबह की चाह में गुज़री, वो रात हूँ मैं
निभाने से डरते हैं क्यों लोग रिश्ते,
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उनका ख़याल दिल से, हम मिटा न पाए,
बहुत चाहा भूलना मगर, हम भुला न पाए !
उनकी जफ़ाओं का है याद हमें हर लम्हां,
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बड़ी ही शिद्दत से
रिश्ता, उनसे निभाया हमने,
उनके हर दर्द को, अपने #दिल से लगाया हमने !
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जब कभी बादल, मेरे आँगन पे गरजते हैं,
तब तब उनकी यादों के, साये लरजते हैं !
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तूने खुशुबुओं का
रिश्ता, बर्बाद कर दिया,
इक हरे भरे से चमन को, उजाड़ कर दिया !
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जीते रहे हैं ज़िन्दगी, किसी का उधार समझ कर ,
निभाते रहे हम
रिश्ता, किसी को प्यार समझ कर !
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न कोई भी
रिश्ता, दिल ❤ के करीब निकला,
जो भी निकला, वो दिल का गरीब निकला !
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जाने कोंन सा
रिश्ता, उनसे जुड़ने लगा है !
हर कदम उनकी तरफ, क्यों मुड़ने लगा है !
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