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दिल के शोलों की जलन, हमसे पूछो,
कैसी है कांटो की चुभन, हमसे पूछो,
हो चुका है ख़त्म दौर-ए-शराफत अब,
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तेरे सब्र का नतीजा भी, ज़रूर निकलेगा !
मुश्किलों से बाहर भी तू, ज़रूर निकलेगा !
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शीशे का है #दिल, ठोकर मत लगाना मुझको !
बाज़ारे इश्क़ में, तमाशा मत बनाना मुझको !
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हूँ परेशान मगर, नाराज़ नहीं हूँ ,
झूठे #सपनों का, मोहताज़ नहीं हूँ !
जिया हूँ
ग़मों में भी मज़े के साथ,
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मोहब्बतों में दिल, लुटाना मेरी आदत है,
हर दर्द को सीने में, छुपाना मेरी आदत है !
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दुनिया के दिए ज़ख्मों को, सहना ही पड़ता है,
खा कर के ठोकरें भी, हमें चलना ही पड़ता है !
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कहीं बैठ के कोने में, मैं रोना चाहता हूँ ,
ग़मों को आंसुओं से, मैं धोना चाहता हूँ !
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बाप- बेटा, गिनती सीख गए हो ?
बेटा- हाँ पापा !
बाप- तो बताओ 1, 2, 3, 4 के बाद क्या आता है ?
बेटा- 5, 6
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ख़ुद ही काँटों भरे ये रास्ते, हम बनाते क्यों हैं,
यारो पत्थर दिलों से रिश्ते, हम निभाते क्यों हैं !
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गुज़रे हुए ज़माने, कभी भुलाये नहीं जाते ,
कभी अपनों से मिले
ग़म, बँटाये नहीं जाते !
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